डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी |10 Mahavidya David Kinsley in Hindi

10 Mahavidya David Kinsley in Hindi: दोस्तों अगर आप डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी (David Kinsley 10 Mahavidya PDF in Hindi) डाउनलोड करना चाहते है तो बिलकुल सही जगह पर आये है हम इस पोस्ट में डेविड किंसले 10 महाविद्या के बारे ही बताने वाले है तो

अगर आप डेविड किंसले 10 महाविद्या के बारे में जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़िए | हम आपके लिए लेकर आए हैं डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी | तंत्रशास्त्र में ये 10 महाविद्याएं विशेष महत्त्व रखते हैं।

इनकी पूजा और साधना से हमें विशेष फल प्राप्त होता है। ये सात महाविद्याएं दतीय शहर के विभिन्न स्थानों पर विराजमान हैं,जबकि छह महाविद्यायों का मंदिर दतिया में स्थित है। और सातवीं महाविद्या का मंदिर बरौनी शहर में है।

हिंदू धर्म में महाविद्या की देवी दुर्गा के 10 रूपों को माना जाना जाता है, जिसे 10 अवतार के नाम से भी जाना जाता है। पंडित ललित बिहारी व्यास के अनुसार इन 10 स्वरूपों से दासों अवतार जुड़े हैं, जिन्हें महा विद्या के अवतार के रूप में

माना जाता है | और तांत्रिक साधकों द्वारा इनकी पूजा बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से की जाती है। आशा है कि आप सभी को यह जानकर बेहद खुशी होगी कि इस पोस्ट के माध्यम से आप इन महाविद्याओं को और उनकी महत्त्व को समझेंगे।

मनुष्य जीवन भर अर्थात जन्म से मृत्यु तक कई तरह की उलझनों में उलझा रहता है। कभी परिवार की समस्या तो कभी ग्रस्त का बोझ, कभी अपने मान सम्मान तो कभी धन सम्पदा को कमाने में।ना जाने मनुष्य का जीवन और कितनी आकांक्षा है और अभिलाषाएं को पीछा कर दिया है। लेकिन मृत्यु से पहले ये सारी आकांक्षाएं और उसके बाद वो क्षण

किसी तरह की पूरी हो सकती है तो उसका एकमात्र रास्ता है 10 महाविद्याएं। क्या है ये 10 महाविद्या? क्या आप इन के बारे में जानते हैं? नहीं तो चलिए आपको आज के इस Post में बताते हैं। नमस्कार दोस्तों, इस Blog पर आपका एक बार फिर से स्वागत है।

अगर आप डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी को डाउनलोड करना चाहते हैं, तो इस पीडीईएफ् लेने का तरीका हमने नीचे बताया हुआ है आप पढ़ सकते हैं।

Language Hindi
Total pages330
PDF Size0.21 MB
Book CategoryNovel
PDF SourceDownload.tl

10 महाविद्या में काली प्रथम रूप है। माता का यह रूप साक्षात और जाग्रत है। काली के रूप में माता का किसी भी प्रकार से अपमान करना अर्थात खुद के जीवन को संकट में डालने के समान है। वहाँ तय करने के लिए माता है। ये रूप धरा था, जिनका स्वरूप काफी भयावह है।

पर्वत के समान शब्द पर मात मुंडमाला धारण किए हुए एक हाथ में खड़ा दूसरे हाथ में और तीसरे हाथ में कटे हुए शेर यह एक गाली, एक प्रबल शत्रु महिषासुरमर्दिनी और रक्तबीज का बंद करने वाली शिव प्रिय चामुंडा का स्वरूप है जिसने देवता ना देवताओं को विजय पायी थी।

इनका क्रोध भी शांत हुआ था, जब शेप के चरणों में हिट गए थे।बाकी 10 रूपों में से कालिमा का शक।कोलकाता के कालीघाट पर स्थित है तथा मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक भैरवगढ़ मी गढ़कालिका मंदिर को भी काली माँ के शक्तिपीठ में शामिल किया गया है।

डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी

महाकालीका जाकर मंदिर जो चमत्कारिक रूप से मनोकामना मूल करता है, गुजरात में पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित है।तारा वहाँ का दूसरा रूप का तारा का है, जिनकी सबसे बड़े मैच ही वशिष्ठ ने आराधना थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में देवी सती के नेत्र गिरे थे।

इसलिए को नया बतारा पीठ भी कहा जाता है जो कि एक अनुसार राजा की दूसरी पुत्री देवी का राथी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित में तारा जीबी का मंदिर है। हिंदू धर्म की देवी तारा का बौद्ध धर्म में भी काफी महत्त्व है।

देवी अन्य आठ स्वरूपों में।तारा समूह का निर्माण करती है तथा विख्यात है। माँ त्रिपुर सुंदरी तीन चित्र वाली शोशी माहेश्वरी शक्ति की बिक्री वाली देवी हैं, जिन्हें ललिता, राजराजेश्वरी और तृपूरसुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। कलाओं से भरपूर होने के कारण शोष ये भी कहा जाता है।

पुराण के अनुसार त्रिपुरा में जहाँ माँ सती की धारण किए हुए वस्त्र गिरे थे। यह शक्ति?वहाँ स्थित है। उदयपुर शहर से तीन किलोमीटर दूर इस में सदी के दक्षिण हुआ था। इस पीठ को कोर्ट पीठ के नाम से भी जाना जाता है। श्री त्रिपुरसुंदरी है न माँ मंत्र का जाप करने से माँ को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है।

उनका यही भगवती लम्बा है। संसार के विस्तार का समस्त कार्य इन्हीं में समाहित है। यही बड़ा कही गई है।भुवनेश्वर।डोंट वरी को आदि शक्ति और मूल प्रकृति भी कहा गया है। भुवनेश्वरी की शताक्षी और शाकंभरी नाम से प्रसिद्ध पुत्र प्राप्ति के लिए लोग इनकी आराधना करते हैं।

आदिशक्ति भुवनेश्वरी माँ का स्वरूप सौम्य एवं अंग क्रांति अरुण हैं। भक्तों को अभय एवं सिद्धियां प्रदान करना।उनका स्वाभाविक को है। इस महाविद्या की आराधना से सूर्य के समान तेज और ऊर्जा प्रकट होने लगती है। माता का

आशीर्वाद मिलने से धन प्राप्त होता है। महाबलेश्वर की साधना के लिए कालरात्रि ग्रहण होली दीपावली, महा शिवरात्रि, कृष्ण पक्ष की अष्टमी।आज चतुर्दशी शुभ समय माना जाता है।

दोस्तों आशा करते हैं कि डेविड किंसले 10 महाविद्या पीडीएफ इन हिंदी इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप डाउनलोड कर लिए होंगे और ये भी जान चुके होंगे की डेविड किंसले 10 महाविद्या क्या होती हैक्या होती है लेकिन अगर आपके मन में इस पोस्ट से रिलेटेड

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10 Mahavidya कौन कौन सी है ?

काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर, धूमावती, भैरवी, बगलामुखी, मातंगी, और कमला। इन सभी देवियों को 10 महाविद्या कहा जाता है ।

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